ब्‍लड प्रेशर: ये तथ्‍य जानने की जरूरत है

ब्‍लड प्रेशर: ये तथ्‍य जानने की जरूरत है

सेहतराग टीम

ब्‍लड प्रेशर या बीपी के बारे में आम लोगों की जानकारी का स्‍तर बस इतना ही होता है कि बीपी 120/80 होना चाहिए। हकीकत में हमें शरीर की इस खास प्रक्रिया के बारे में बहुत अधिक जानकारी रखने की जरूरत है। हम आपके सामने डॉक्‍टर जी.डी. थापड़ की पुस्‍तक ‘ब्‍लड प्रेशर और स्‍वस्‍थ जीवन’ से साभार लेकर एक बीपी प्रश्‍नोत्‍तरी का पहला भाग पेश कर रहे हैं।

प्रश्‍न: बीपी का सामान्‍य स्‍तर क्‍या है?

उत्‍तर: पैंतीस से चालीस वर्ष के बीच सामान्‍य बीपी की उच्‍च सीमा 140/90 होती है।

प्रश्‍न: उच्‍च रक्‍तचाप या हाई बीपी क्‍या होता है?

उत्‍तर: 150/90 और इससे ऊपर का रक्‍तचाप उच्‍च की श्रेणी में आता है।   

प्रश्‍न: आदर्श बीपी कितना होना चाहिए?

उत्‍तर: वयस्‍कों के लिए 120/80

प्रश्‍न: लो बीपी या निम्‍न रक्‍तचाप क्‍या होता है?

उत्‍तर: जवान लोगों में लो बीपी प्राय: 100/70 को कहा जाता है मगर यदि यह माप किसी बीमारी के कारण नहीं है तो इसे अच्‍छा ही माना जाएगा परंतु किसी बीमारी के कारण बीपी इतना नीचे चला जाए तो उसे खतरे की बात माना जाता है।

प्रश्‍न: मौसम का बीपी पर क्‍या असर पड़ता है?

उत्‍तर: गर्मियों की तुलना में सर्दियों में बीपी आमतौर पर अधिक रहता है। इसकी वजह ये है कि गर्मियों में पसीने के साथ शरीर का नमक बाहर निकलता रहता है जिसके कारण बीपी कम हो जाता है जबकि सर्दियों में एक तो नमक शरीर में बना रहता है दूसरे ठंड के कारण बाह्य रक्‍त नलिकाओं में सिकुड़न आ जाती है जिसके कारण रक्‍तचाप बढ़ जाता है।

प्रश्‍न: हाई ब्‍लड प्रेशर के लक्षण क्‍या हैं?

उत्‍तर: सामान्‍य रूप से हाई बीपी का कोई लक्षण नहीं है। कई बार बीपी बहुत बढ़ा हुआ रहता है और मरीज को इसका पता तक नहीं चलता है।

प्रश्‍न: सिरदर्द के बारे में क्‍या लक्षण होते हैं?

उत्‍तर: सिरदर्द सामान्‍यत: दूसरे कारणों जैसे कि स्‍नायु संबंधी तनावों के कारण होता है जो बीपी को बढ़ा सकता है। हालांकि अचानक ब्‍लड प्रेशर का स्‍तर बहुत ज्‍यादा हो जाना, मान लीजिये 200/120, सीधे बेचैनी और सिरदर्द पैदा कर सकता है।

प्रश्‍न: क्‍या हाई ब्‍लड प्रेशर पारिवारिक हो सकता है?

उत्‍तर: जी हां, हाई ब्‍लड प्रेशर से ग्रस्‍त परिवारों में यह होता है।

प्रश्‍न: पारिवारिक ब्‍लड प्रेशर के क्‍या कारण हैं?

उत्‍तर: 1. आनुवांशिक कारण

2. परिवार की जीवन शैली और खान पान की आदतें दोषपूर्ण होना, जैसे भोजन में काफी ज्‍यादा नमक का प्रयोग, शराब पीना, सब्जियों और फलों को छोड़कर मांसाहारी भोजन करना और 

3. पारिवारिक तनाव

प्रश्‍न: वैवाहिक जीवन में दरार का बीपी पर क्‍या असर पड़ता है?

उत्‍तर: वैवाहिक जीवन में दरार से तनाव बढ़ता है जो कि बीपी को बढ़ाता है।

प्रश्‍न: हाई बीपी से ग्रस्‍त महिला यदि गर्भवती हो तो क्‍या होता है?

उत्‍तर: ब्‍लड प्रेशर के इलाज के लिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिनसे बीपी नियंत्रण में भी रहता है और गर्भस्‍थ शिशु को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता। ब्‍लड प्रेशर नियंत्रण में रखकर प्रसव बिना किसी बाधा के हो सकता है। हां यदि गर्भावस्‍था के दौरान किसी तरह की प्‍वाइजनिंग यानी विषाक्‍तता हो जाए तो मुश्किल होती है और ऐसे में गर्भपात भी करना पड़ सकता है।

प्रश्‍न: पहले से ही हाई बीपी से ग्रस्‍त महिला यदि गर्भावस्‍था के दौरान भी अनियंत्रित हाई बीपी की शिकार रहती है तो क्‍या होता है?

उत्‍तर: ऐसा गर्भावस्‍था की विषाक्‍तता के कारण हो सकता है और यह माता एवं गर्भस्‍थ शिशु दोनों के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे भ्रूण का विकास मंद पड़ सकता है और बच्‍चा मरा हुआ पैदा हो सकता है। यदि बीपी नियंत्रित न हो तो महिला को ब्रेन हेमरेज जैसी गंभीर समस्‍या भी हो सकती है।

प्रश्‍न: गर्भावस्‍था की ऐसी अवस्‍था का इलाज कैसे किया जाता है?

उत्‍तर: पहले तो ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित करने की कोशिशें की जाती हैं ताकि गर्भस्‍थ शिशु को जीवनक्षम बनाया जा सके और वह मां के गर्भ के बाहर भी जिंदा रह सके परंतु यदि ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है तो मां की जान बचाने को प्राथमिकता दी जाती है और बच्‍चे का गर्भपात करवा दिया जाता है। जैसे ही गर्भावस्‍था पूर्ण होती है या बीच में ही खत्‍म होती है मां का ब्‍लड प्रेशर सामान्‍य हो जाता है।

ब्‍लड प्रेशर से संबंधित इस प्रश्‍नोत्‍तरी श्रृंखला का दूसरा हिस्‍सा आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:

ब्‍लड प्रेशर श्रृंखला-2

(यह प्रश्‍नोत्‍तरी डॉक्‍टर जी.डी. थापड़ की पुस्‍तक ‘ब्‍लड प्रेशर और स्‍वस्‍थ जीवन’ से साभार। पुस्‍तक प्रभात प्रकाशन की वेबसाइट www.hindibooks.org से मंगाई जा सकती है)

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।